गर्भधारण में समस्‍या? यहां पाएं हर जानकारी

गर्भधारण में समस्‍या? यहां पाएं हर जानकारी

सेहतराग टीम 

परिचय

यदि कोई जोड़ा लगातार 12 महीने तक असुरक्षित यौन संबंध बनाने के बावजूद गर्भधारण में असमर्थ रहता है तो उसे इन्‍फर्टिलिटी या बांझपन कहा जाता है। इन्‍फर्टिलिटी प्रजनन तंत्र की बीमारी है। इन्‍फर्टिलिटी दो तरह की होती है- प्राइमरी और सेकेंडरी।

प्राइमरी इन्‍फर्टिलिटी का अर्थ है कि जोड़े ने कभी भी गर्भधारण नहीं नहीं किया हो जबकि सेकेंडरी इन्‍फर्टिल‍िटी का अर्थ है जोड़े ने पहले कभी गर्भधारण किया है मगर उसके बाद गर्भधारण करने में असमर्थ है। दुनिया भर में सामान्‍यत: प्राइमरी इन्‍फर्टिल‍िटी के मामले ज्‍यादा देखने को मिलते हैं।

पूरी दुनिया में इंन्‍फर्टिलिटी के 70 फीसदी मामले यौन संचारित रोगों के जरिये महिलाओं के ट्यूब को पहुंचने वाले नुकसान के कारण होते हैं और इस कारण को रोका जा सकता है। वर्तमान दुनिया में बांझपन के मामले आम होते जा रहे हैं खासकर ऐसे शहरी क्षेत्रों में जहां महिलाएं अपने कॅरिअर या अन्‍य वजहों से देर से मां बनने का फैसला लेती हैं। एक अनुमान के अनुसार पूरी दुनिया में प्रजनन आयु वाले करीब 15 फीसदी जोड़े बांझपन की बीमारी से ग्रस्‍त हैं।

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के अनुसार भारत में बांझपन की बीमारी का फैलाव 3.9 से लेकर 16.8 फीसदी आबादी तक हो सकता है। भारत के अलग-अलग राज्‍यों में ये प्रतिशत अलग अलग है। उदाहरण के लिए उत्‍तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और महाराष्‍ट्र में ये 3.7 फीसदी है जबकि  आंध्र प्रदेश में 5 फीसदी और कश्‍मीर में 15 फीसदी। एक ही जैसे इलाकों में जनजातीय और जातीय वजहों से भी इसका फैलाव अलग अलग होता है।

बच्‍चा न हो पाना पुरुषों और महिलाओं दोनों को भावनात्‍मक रूप से परेशान करता है। कई तरह के सामाजिक, मानसिक, आर्थिक और शारीरिक प्रभाव के बावजूद इन्‍फर्टिलिटी की समस्‍या आमतौर पर उपेक्षित ही रहती है या सरकारों की प्राथमिकता सूची में काफी नीचे रहती है। खासकर निम्‍न आयवर्ग वाले वैसे देशों में जो पहले से ही जनसंख्‍या का दबाव झेल रहे होते हैं। हालांकि हाल के वर्षों में स्थिति में बदलाव देखा जाने लगा है।

लक्षण

किसी महिला में बांझपन या गर्भधारण में कठिनाई ऐसे पता चलती है:

  • गर्भधारण करने में अक्षमता
  • गर्भधारण करना मगर उसे पूरे गर्भ काल तक रखने में परेशानी
  • जीवित बच्‍चे को जन्‍म देने में अक्षमता

कारण

बांझपन महिला या पुरुष दोनों के कारण हो सकता है। पूरी दुनिया में बांझपन के मामलों में एक तिहाई मामले महिलाओं में किसी समस्‍या के कारण होते हैं जबकि एक तिहाई पुरुषों में किसी समस्‍या के कारण होते है। बचे मामलों में कुछ मामलों में परेशानी दोनों में हो सकती है और कई मामलें ऐसे भी होते हैं जिनमें इन्‍फर्टिलिटी की वजह स्‍पष्‍ट ही नहीं पाती है।

महिलाओं में इन्‍फर्टिलिटी कई वजहों से होती है

  • फेलोप‍ीन ट्यूब में क्षति
  • ओवरी में किसी तरह की परेशानी
  • हार्मोन से संबंधित द‍िक्‍‍कत
  • पॉलिसिस्‍ट‍िक ओवरी सिन्‍ड्रोम
  • फंक्‍शनल हाइपोथेल्‍म‍िक एम्‍नोरिया यानी अत्‍यधिक शारीर‍िक और भावनात्‍मक तनाव (एथलीट्स में होता है)
  • महिला के ओवरी का 40 साल की उम्र से पहले काम करना बंद कर देना, ऐसा किसी बीमारी के कारण या प्राकृतिक रूप से भी हो सकता है
  • बच्‍चेदानी में फॉलेप्‍स या फाइब्रॉइड के कारण
  • बच्‍चेदानी के मुंह में किसी तरह की समस्‍या जिसके कारण पुरुष स्‍पर्म सर्वाइकल कैनल से गुजरने में असमर्थ हो जाए

पुरुषों में इन्‍फर्टिलिटी

पुरुषों में इन्‍फर्टिलिटी के 90 फीसदी मामले स्‍पर्म की कम संख्‍या या स्‍पर्म की खराब गुणवत्‍ता या दोनों से जुड़े होते हैं। इसके अलावा अन्‍य वजहें कई कारकों पर निर्भर करती हैं जिनमें हार्मोन संबंधी परेशानी, किसी तरह के ऑपरेशन के कारण हुई परेशानी या जीन से संबंधित समस्‍या आदि शामिल हैं।

उपचार

इन्‍फर्टिलिटी पुरुष और महिला दोनों के कारण हो सकती है और इसलिए सही वजह का पता लगाने के लिए कई तरह के मेडिकल जांच कराने की आवश्‍यकता पड़ती है। जांच में यदि किसी तरह की मेडिकल परेशानी का पता चलता है तो उसका उपचार किया जाता है। अगर समस्‍या मानसिक हो तो इन्‍फर्टिलिटी विशेषज्ञ इसके लिए पुरुष और महिला दोनों से एक साथ या अलग-अलग बात करके परेशानी का पता लगाते हैं। अधिकांश मामलों में जोड़े को प्रजनन तंत्र के बारे में पूरी जानकारी भी नहीं होती है। विशेषज्ञ उन्‍हें प्रजनन के लिए उपयुक्‍त दिनों की जानकारी देते हैं जिस दौरान यौन संबंध बनाने से गर्भधारण की संभावना सबसे अधिक होती है। महिला के मासिक स्राव के 7 से लेकर 14वें दिन की अवधि इसके लिए सबसे बेहतर मानी जाती है। हालांकि इसके बाद के दिन भी गर्भधारण संभव होता है।

अन्‍य जरूरी बातें

एक स्‍वस्‍थ बच्चे के जन्‍म के लिए जरूरी है कि माता-पिता अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान रखें। इसलिए बेहतर है कि गर्भधारण की योजना बनाने से पहले अपने खान-पान और फ‍िटनेस को सुधारें। इसके लिए

  • अपने खाने में साबूत अनाज, फलों और सब्जियों की मात्रा बढ़ाएं
  • प्रसंस्‍कृति खाद्य पदार्थ, खासकर जिसमें ज्‍यादा चीनी हो उसका मोह छोड़ दें
  • खाने में सैचुरेटेड फैट कम करें
  • नियमित व्‍यायाम करें
  • धूम्रपान छोड़ दें।
  • वजन को संतुलित रखें
  • शराब कम करें।

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